प्रयागराज में चार दिनों तक चली आरएसएस की बैठक में जनसंख्या असंतुलन पर भी चर्चा हुई। जनसंख्या असंतुलन से होने वाली भविष्य की परेशानियों पर मंथन किया गया और सभी को स्वीकार किसी पॉलिसी को बनाने का भी समर्थन किया गया। इसके अलावा मतांतरण पर भी चर्चा की गई। गौहनिया स्थित वात्सल्य परिसर में 16 से 19 अक्तूबर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हुई है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल रहे।
दुनिया के कुछ देशों में बिखराव देखने को मिला। ऐसी स्थिति कहीं भारत में उत्पन्न न हो, इस पर व्यापक विमर्श हुआ। संघ का मानना है कि ऐसी जनसंख्या नीति बननी चाहिए जो सभी को स्वीकार हो।
कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। इसलिए इस विषय पर समग्रता व एकात्मता से विचार करके सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए। विगत 40-50 वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देने के कारण प्रत्येक परिवार की औसत जनसंख्या 3.4 से कम होकर 1.9 हो गई है। इसके चलते भारत में एक समय ऐसा आएगा जब युवाओं की जनसंख्या कम हो जाएगी और वृद्ध लोगों की आबादी अधिक होगी, यह चिंताजनक है।