दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला, सहारनपुर, फरीदाबाद व गुरुग्राम आदि शहरों तक सीमित उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें जल्द ही नए मार्गों पर दौड़ेंगी। इनमें हिसार, करनाल, जोधपुर, मेहंदीपुर, मनाली, पानीपत, कोटा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अमृतसर आदि शहर शामिल हैं। आय बढ़ाने के लिए परिवहन निगम ने नए मैदानी मार्गो पर 371 अनुबंधित सीएनजी बसें चलाने का फैसला किया है। सीमित बस बेड़ा होने के कारण निगम नए मार्गो से परहेज कर रहा था, लेकिन शुक्रवार सुबह अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता व परिवहन सचिव डा. रणजीत सिन्हा की मौजूदगी में हुई निगम की बोर्ड बैठक में उन नए मार्गों पर बस के संचालन को मंजूरी मिल गई, जहां अभी तक निगम की सीधी बस सेवा नहीं है। इसके साथ ही रोडवेज की पुरानी 600 बसों को सीएनजी में परिवर्तित करने की भी बोर्ड की मंजूरी मिल गई।
वर्तमान में उत्तराखंड रोडवेज की सीधी बस सेवा पड़ोसी राज्यों के सभी शहरों में भी संचालित नहीं हो रही है। खासतौर से लंबी दूरी के अधिकांश मार्ग ऐसे हैं, जहां से उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से सीधी बस संचालित नहीं की जा रही। चार साल पहले इस पर कसरत तो हुई थी, लेकिन खराब बस बेड़ा और राज्य परिवहन प्राधिकरण से अनुमति न मिलने के कारण योजना परवान नहीं चढ़ सकी।
प्रदेश के ज्यादातर शहरों से सर्वाधिक बसें दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रही हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश समेत पंजाब के कई ऐसे मार्ग हैं, जहां लंबे समय से सीधी बस संचालन की मांग उठती रही है। हिसार, पानीपत, मेरठ, मेहंदीपुर, जोधपुर, करनाल आदि ऐसे शहर हैं, जहां उत्तराखंड से दूसरे राज्यों की बसें संचालित होती हैं, मगर उत्तराखंड रोडवेज की बसें वहां नहीं जाती। मेहंदीपुर के लिए सात साल पूर्व दून और हरिद्वार से बस सेवा संचालित की गई थी, मगर यह दिल्ली के बजाय अलीगढ़ होकर जाती थी। यह मार्ग यात्रियों को नहीं भाया।
यात्रियों ने इन बस को वाया दिल्ली-अलवर होते हुए चलाने की मांग की, लेकिन परिवहन निगम ने मार्ग बदलने के बजाय बस सेवा ही बंद कर दी। अब रोडवेज के बोर्ड ने नए मैदानी मार्गों पर अनुबंधित सीएनजी बसें चलाने की मंजूरी दी है। बताया गया कि ऐसे सौ से अधिक मार्ग हैं, जहां 361 सीएनजी बसें संचालित की जाएंगी।