उत्तराखंड के जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के लिए प्री-फ्रेब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। उद्यान विभाग, एचडीआरआई, जोशीमठ के पास स्थित भूमि पर केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की के सहयोग से वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर बनाए जा रहे हैं। ढाक गांव, चमोली में शेल्टर निर्माण के लिए भूमि का चयन करने के बाद भूमि समतलीकरण, बिजली, पानी, सीवर आदि की व्यवस्था के लिए कार्य किया जा रहा है। साथ ही जरूरत पड़ने पर भराणीसैंण विधानसभा के हॉस्टलों में विस्थापितों के रहने की व्यवस्था का विकल्प खुला रखा गया है।सचिव आपदा प्रबन्धन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में अग्रिम राहत के तौर पर 3.45 करोड़ रुपये की धनराशि 261 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज घटकर 180 एलपीएम हो गया है। बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने जोशीमठ नगर पालिका सभागार में अधिकारियों के साथ राहत कार्यों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने राहत कार्यों में लगे सभी नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया कि शिविरों में प्रभावित लोगों को हर संभव मदद दी जाए।अजय ने कहा कि चार धाम यात्रा और शीतकालीन पर्यटन उत्तराखंड की रीढ़ हैं। पिछले कुछ दिनों में जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को लेकर पूरे देश में जो वातावरण बना है उससे प्रदेश की आर्थिकी प्रभावित हो रही है। इस वातावरण को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से जोशीमठ में आपदा प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जा रही है। सरकार की ओर से प्रभावित लोगों के हितों को ध्यान रखते हुए पुनर्वास के लिए भी आदर्श से आदर्श व्यवस्था की जाएगी।
इस दौरान जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिह्नित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं। इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं। आपदा प्रभावित 275 परिवारों के 925 सदस्यों को सुरक्षा के दृष्टिगत राहत शिविरों में रुकवाया गया है। राहत शिविरों में 826 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गई है।