उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधंसाव के कारण बेघर हुए लोगों को नए सिरे से बसाने के लिए चिह्नित स्थानों पर चमोली प्रशासन सरकार की देखरेख में जमीनों का निरीक्षण कर रहा है। जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना ने प्रशासन की टीम के साथ ग्राम पंचायत ढाक चिह्नित की गई जमीन का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना का कहना है कि जोशीमठ की सुरक्षा, पुनर्वास, विस्थापन को लेकर कमेटी के साथ दो बैठक हो गई है। कमेटी ने कुछ सुझाव दिए हैं, जिसके तहत दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही प्रभावितों, जनप्रतिनिधियों से भी उनके सुझाव लिए जा रहे हैं। डीएम खुराना ने ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को निर्देशित किया है कि ढाक गांव में उपलब्ध भूमि का कंटूर मैप जल्द ही उपलब्ध कराया जाए। ताकि आगे का कार्य जल्द करने में सहयोग मिल सके। साथ ही आपदा प्रभावित लोगों से सुझाव ले कर सीबीआरआई से विस्थापन के लिए विस्तृत प्लान भी जल्द तैयार कराया जाए।जोशीमठ नगर का पुनर्वास वर्तमान समय में सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। हालांकि सरकार और स्थानीय प्रशासन अभी तक जमीनों के निरीक्षण में जुटा हुआ है और सरकार अभी तक पुनर्वास, विस्थापन को लेकर कागजी लेखाजोखा तैयार नहीं कर पाई है। वहीं मुआवजे को लेकर प्रभावित भी एकमत नहीं हैं। कुछ प्रभावित वन टाइम सेटलमेंट चाह रहे हैं और वे लोग चाहते हैं कि बदरीनाथ की तर्ज पर उनको मुआवजा दिया जाए। कुछ लोग यहां से जाना ही नहीं चाहते हैं। प्रभावितों का कहना है कि आखिरी सांस तक जोशीमठ नहीं छोड़ेंगे। इस मिट्टी में जन्में, पले-बढ़े,तो ऐसे में कहीं और जा कर कैसे बस जाएंगे। वे चाहते हैं कि सरकार जोशीमठ का स्थायी ट्रीटमेंट करे और मास्टर प्लान के तहत प्रभावितों के आवास बनाकर दे।भूधंसाव से जो क्षति हुई है, उसका मुआवजा भी उन्हें दिया जाए। प्रभावितों का कहना है कि अन्यत्र विस्थापन, पुनर्वास से उनका वर्षों पुराना जमा हुआ व्यवसाय, रोजगार चौपट हो जाएगा। जोशीमठ में सैकड़ों लोग अलग-अलग व्यवसाय से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। खास कर यात्रा के समय में तीर्थाटन और पर्यटन से उनको अच्छी खासी आय हो जाती है। यदि यहां से कहीं और बसा दिया गया तो भविष्य में रोजगार का संकट गहरा जा जाएगा।