सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सोमवार को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने कहा कि देशमुख कानून के तहत उपलब्ध कोई भी उपाय आजमाने को स्वतंत्र हैं।
जस्टिस खानविलकर, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, हम कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं हैं। सुनवाई के दौरान देशमुख की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देखमुख के विरुद्ध धन शोधन के गंभीर आरोप हैं।
पीठ ने देशमुख के वकील से कहा, आप कानून के अंतर्गत उपलब्ध कोई भी उपाय अपना सकते हैं। सर्वोच्च अदालत, कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें से एक याचिका में धन शोधन निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है।