आवास विकास निवासी आयुषी राय यूक्रेन से सकुशल अपने परिजनों के पास पहुंच गई हैं। परिजनों से मिलने के बाद वह यूक्रेन की घटना को भूल नहीं पा रही है। अमर उजाला से बातचीत में आयुषी ने बताया कि वह यूक्रेन से एबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। वह यूक्रेन में बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा है।
आयुषी ने बताया कि यूक्रेन में वह रोजाना न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर सुनती और पढ़ती थीं कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई होने वाली है, लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोचा कि यह लड़ाई इतनी जल्दी होगी। कहा कि यूक्रेन से आनी वाली भारतीय बसों में तिरंगे लगे थे। इसलिए उन्हें किसी ने नहीं रोका।
दूतावास और यूनिवर्सिटी ने सुरक्षित पहुंचाने का भरोसा दिलाया
आयुषी राय ने बताया कि 23 फरवरी को अचानक मीडिया के माध्यम से सुनने में आया कि यहां से करीब 900 किमी दूर रूस ने हमला करना शुरू कर दिया है, लेकिन फिर भी वे विचलित नहीं हुए। 24 फरवरी को फिर करीब 300 किमी की दूरी पर बम धमाकों की सूचना मिलने लगी। तो दिल दहलना शुरू हो गया। इस दौरान परिजनों से फोन पर लगातार संपर्क होता रहा।
लड़ाई के दौरान कोई समस्या न हो, इसके लिए वह एटीएम पर गईं, लेकिन वहां देखा तो सुबह आठ बजे एटीएम में जाने के बाद करीब नौ बजे नंबर आया। खाने पीने की दुकानों के भी यही हाल रहे। जगह-जगह लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा था। परिजनों ने भी उन्हें एक महीने का राशन भरने की सलाह दी। इस दौरान यूनिवर्सिटी और दूतावास का एक दूसरे से लगातार संपर्क बना रहा।
दूतावास और यूनिवर्सिटी ने उन्हें भरोसा दिया कि छात्रों को कुछ नहीं होगा। वे उन्हें सकुशल उनके देश पहुंचा देंगे। 25 फरवरी को उन्हें सूचना मिली कि जिन लोगों को जाना है, वे एक घंटे के अंदर अपना सामान पैक करके गाड़ी में बैठ जाएं। पहली सूची में आयुषी का नाम था। वह तैयार होकर वाहन में बैठकर रोमानिया राजधानी पहुंचीं।
रोमानिया के लिए गाड़ी में बैठीं तो भारतीय होने पर हुआ गर्व
जहां से 26 फरवरी को सुबह आठ बजे दूतावास ने उन्हें रोमानिया हवाई अड्डे से मुंबई के लिए रवाना कर दिया। आयुषी ने कहा कि जिस फ्लैट में वह आईं, उसमें करीब 290 भारतीय छात्र थे। उनकी फ्लाइट 26 फरवरी शाम 9 बजे मुंबई में लैंड कर गई। 27 फरवरी रविवार सुबह 10 बजे वह मुंबई से जौलीग्रांट के लिए रवाना हुईं। जहां करीब 2:30 बजे वह जौलीग्रांट हवाई अड्डे पहुंचीं।
हवाई अड्डे पर उनकी माता सीमा राय और उनका भाई शिखर राय अपने बहन को देखकर खुशी से झूम उठे। जौलीग्रांट से करीब तीन बजे वह अपने घर आवास विकास पहुंच गईं। आयुषी राय ने कहा कि वह भगवान से प्रार्थना करतीं हैं कि जल्द ही यूक्रेन और रूस की लड़ाई शांत हो। ताकि वह फिर यूक्रेन में जाकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर सकें।
आयुषी ने बताया कि वह यूनिवर्सिटी से जब रोमानिया के लिए गाड़ी में बैठीं तो उन्हें भारतीय होने पर गर्व हुआ। कहा कि रोमानिया आने के लिए छात्रों से भरी चार बसें एक साथ चल रही थीं। सबसे आगे और सबसे पीछे वाली बस में भारतीय तिरंगा लगाया हुआ था। इस दौरान यूक्रेन की पुलिस और वहां की प्रशासन भी उनकी सुरक्षा में जुटी हुई थी। कहीं भी उनकी बसों को न रोकने के निर्देश दिए गए थे। सभी बस सकुशल रोमानिया पहुंचे, जहां से वह मुंबई के लिए रवाना हुईं।
पिता इंजीनियर और माता है शिक्षिका
आयुषी ने बताया कि उनके पिता अजय राय सीमा सड़क संगठन में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं, जो वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेवा दे रहे हैं। उनकी माता सीमा राय आईडीपीएल स्थित फुटहिल्स एकेडमी स्कूल में शिक्षिका हैं। बेटी को घर पर सकुशल पाकर उनकी माता सीमा राय, भाई शिखर ने भारत सरकार, दूतावास और यूक्रेन प्रशासन का आभार व्यक्त किया।