देश में कोरोना संक्रमण, खासकर ओमिक्रोन वैरिएंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए तीसरी लहर की आशंका मजबूत होती जा रही है। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) के प्रमुख डा. एनके अरोड़ा ने तो संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों को तीसरी लहर शुरू होने का संकेत बताया है। तीसरी लहर आती है तो उसमें घर में ही आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमितों की निगरानी और उन्हें जरूरी दवाइयों की आपूर्ति बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
एक महीने में चरम पर होगी महामारी
अब तक के अध्ययनों से यह साफ है कि दूसरे वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन अधिक संक्रामक तो है लेकिन घातक नहीं है। इसके ज्यादातर मरीज बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले मिल रहे हैं जो अस्पताल में भर्ती होने के बजाय घर में रहकर ही उपचार को बेहतर मान रहे हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि अगर तीसरी लहर आती है तो एक महीने पर ही चरम पर पहुंच जाएगी। ऐसे में अगर लोग एक महीने सावधानी बरते और संक्रमण से बचाव के उपायों को अपनाएं तो तीसरी लहर के प्रभाव को बहुत हद तक और कम किया जा सकता है।
तीसरी लहर की हो चुकी है शुरुआत
डा. अरोड़ा के अनुसार मुंबई, कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगरों में तेजी से संक्रमितों की बढ़ती संख्या और उनमें 75 फीसद से अधिक के ओमिक्रोन से संक्रमित होने से साफ है कि देश में तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है और ओमिक्रोन वैरिएंट इसकी प्रमुख वजह है। उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले हफ्ते में ओमिक्रोन वैरिएंट का पहला मामला देश में मिला था। पिछले हफ्ते नए मामलों में 18 प्रतिशत ओमिक्रोन के मामले थे। इस हफ्ते यह 28 प्रतिशत हो गया है।
घर पर ही इलाज करने का ट्रेंड
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरी दुनिया में ओमिक्रोन संक्रमण में घर पर बड़ी संख्या में मरीजों के इलाज होने का ट्रेंड आ रहा है। यही कारण है कि ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी के बावजूद अस्पतालों पर बहुत ज्यादा बोझ देखने को नहीं मिला।
..तो फैल सकता है संक्रमण
घर पर मरीजों को बुखार की और एंटीबायोटिक जैसी दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना जरूरी होता है। बहुत ज्यादा संक्रामक होने के कारण यदि ये मरीज इन दवाओं या घर की जरूरी चीजें खरीदने के लिए बाहर निकलते हैं, तो ज्यादा संक्रमण फैला सकते हैं।
दूसरी लहर से कई गुना ज्यादा हो सकते हैं मामले
दरअसल दूसरी लहर के दौरान मई के पहले हफ्ते में देश में सक्रिय मामलों यानी उपचाराधीन मरीजों की संख्या लगभग 40 लाख तक पहुंच गई थी। अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर के चरम पर पहुंचने पर सक्रिय मामलों का अनुमान लगना मुश्किल है, लेकिन दुनिया के आंकड़ों के हिसाब से देखे तो यह दूसरी लहर की तुलना में तीन-चार गुना से भी अधिक हो सकता है। इसमें से 70-80 प्रतिशत संक्रमित घर में इलाज करा रहे होंगे।
निगरानी की पुख्ता प्रणाली तैयार करने की सलाह
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यों को तीसरी लहर के दौरान घर पर रहने वालों संक्रमितों की निगरानी की पुख्ता प्रणाली तैयार करने को कहा जा रहा है। उनके अनुसार 21 दिसंबर को जारी नए दिशानिर्देशों में इसका विशेष उल्लेख किया गया है। बाद में महामारी कानून के तहत गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में भी इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।
राज्यों को घर में उपचार के लिए किट तैयार करने के निर्देश
दिशानिर्देश में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को घर में रहने वाले संक्रमितों के इलाज में लगने वाली दवाओं की किट तैयार करने को कहा है ताकि संक्रमितों तक इसे तत्काल पहुंचा कर उनका इलाज शुरू किया जा सके। इसके साथ ही राज्यों को घर पर रहने वाले संक्रमितों की निगरानी के लिए भी पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया है। इसके तहत हर दिन समय-समय पर फोन कर मरीजों का हालचाल लेने के साथ-साथ उनके घर जाकर देखने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स की टीम तैयार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि इसके बड़ी संख्या में हेल्पलाइन वर्कर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स की जरूरत पड़ेगी। राज्यों को इन्हें तैयार करने में मदद की जा रही है।