
DEHRADUN, INDIA - JULY 5: Slums along Rispana river bedside on July 5, 2013 in Dehradun, India. Over the years unauthorised colonies have encroached the river bed of seasonal river Ripsana. Two rivers Bindal and Rispana are very important for Dehradun as they are the only outlets for rain water, thus preventing the city from being engulfed from flood waters. (Photo By Vinay Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images)
उत्तराखंड की मलिन बस्तियों की आबादी, सुविधाओं, स्वास्थ्य की ताजा जानकारी 13 साल बाद मिलेगी। राज्य में 2011 में मलिन बस्तियों का सर्वे हुआ था। अब शहरी विकास विभाग ने दोबारा सर्वे शुरू किया है।ताजा रिपोर्ट के आधार पर जहां मूलभूत सुविधाएं देना आसान होगा, वहीं बस्तियों के विस्थापन का काम भी बेहतर हो सकेगा। प्रदेश में जुलाई 2010 से मई 2011 के बीच हुए सर्वे में 582 मलिन बस्तियां चिह्नित की गईं थीं। इनमें से 3.4 प्रतिशत बस्तियां खतरनाक क्षेत्रों में, 43 प्रतिशत बाढ़ क्षेत्र में और 42 प्रतिशत गैर अधिसूचित क्षेत्रों में स्थापित थीं। 55 प्रतिशत लोगों के पास अपना आवास था। 29 प्रतिशत के बाद आधा पक्का आवास और 16 प्रतिशत के पास कच्चा आवास था। 86 प्रतिशत के पास बिजली कनेक्शन था। 582 में से 71 बस्तियां सीवेज नेटवर्क से जुड़ी थीं। 95 कम्युनिटी हॉल थे, 651 की जरूरत थी। 15 प्रोडक्शन सेंटर थे जबकि 536 की जरूरत थी।