सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलीकाप्टर हादसे में निधन के बाद पहली बार तीनों सेनाओं के प्रमुख राजधानी में इस सप्ताह बैठक करेंगे। 23-24 दिसंबर को होने वाली इस बैठक में चीन और पाकिस्तान सीमा की मौजूदा परिस्थितियों को लेकर सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की जाएगी। सरकारी सूत्रों ने बताया, तीनों सेना प्रमुखों को विशेषष रूप से चीन सीमा पर सुरक्षा स्थिति से अवगत कराया जाएगा। चीन ने सर्दियों के बावजूद लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की हुई है।
अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक चीन से लगी सीमा की रक्षा के लिए सेना की पूर्वी, मध्य और उत्तरी कमानों की जिम्मेदारी है। चीन से लगे सबसे ब़़डे क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी पूर्वी कमान की है। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद सरकार उनके स्थान पर नए सीडीएस की नियुक्ति पर काम कर रही है। सेना कमांडरों के सेना में चल रहे सुधारों और अन्य दो सेवाओं के साथ संयुक्तता बढ़ाने पर भी चर्चा करने की उम्मीद है।
जरूरत पड़ी तो एलएसी पर सेना की तैनाती बढ़ेगी
गौरतलब है कि एलएसी पर चीन के साथ एक साल से ज्यादा समय से तनाव जारी है। इस बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी कह चुके हैं कि चीन के साथ टकराव के मद्देनजर सीमा पर हमारी सेनाएं तैनात हैं और जरूरत पड़ने पर जवानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। वायु सेना अकादमी हैदराबाद में संयुक्त स्नातक परेड के दौरान एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि चीन के साथ हमारा टकराव अभी भी चल रही है। लद्दाख में कुछ ही जगह दोनों देशों की सेनाओं की पीछे हुई हैं जबकि कई जगह क्षेत्रों में सेनाएं मोर्चे पर डटी हुई हैं। ऐसी स्थिति में जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती सेनाएं तैनात रहेंगी। यदि जरूरत हुई तो तैनाती और भी बढ़ाई जा सकती है।