‘बड़े गौर से सुन रहा था जमाना, बस आप ही सो गए दास्तां कहते-कहते, जनरल साहब आप बहुत याद आओगे।’ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पहले दिन कुछ इसी तरह से देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ, यानी सीडीएस जनरल बिपिन रावत को सदन ने श्रद्धांजलि दी। सत्तापक्ष और विपक्ष ने देश की सुरक्षा में उत्तराखंड के लाल जनरल रावत के योगदान को याद किया तो राज्य के विकास से जुड़े मुद्दों पर उनकी चिंता को भी उकेरा। इस अवसर पर देहरादून में निर्माणाधीन सैन्यधाम अथवा प्रदेश में किसी बड़े संस्थान का नामकरण जनरल रावत के नाम पर करने का सुझाव भी दिया गया।
विधानसभा के गुरुवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र का पहला दिन सीडीएस जनरल रावत को समर्पित किया गया, जिनका बीते रोज तमिलनाडु में हेलीकाप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। सत्र में नेता सदन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जनरल रावत के निधन से देश की अपूरणीय क्षति हुई है। यह उत्तराखंड के लिए भी बड़ा आघात है। जनरल रावत से जुड़े संस्मरणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमेशा उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों की चिंता करते थे। एक ही बात मन में रहती थी कि राज्य कैसे चहुंमुखी विकास की तरफ अग्रसर हो और पलायन पर कैसे अंकुश लगे। 155 किमी लंबी टनकपुर-बागेश्वर ब्राडगेज रेल लाइन के सर्वे की स्वीकृति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। केंद्र ने इस सर्वे के लिए 29 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर जनरल रावत देहरादून आए थे, तब उनसे शहीद सम्मान यात्रा के तहत पिथौरागढ़ में सम्मिलित होने का आग्रह किया था। तब जनरल रावत ने तिथि तय करने को कहा। इसके अलावा सैनिकों व पूर्व सैनिकों के परिवारों के बीच आने का आग्रह किया गया। लैंसडौन, देहरादून, रानीखेत व बनवसा के कार्यक्रम तय हुए, लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने कहा कि जनरल रावत की सादगी और सरलता ऐसी थी कि लगता ही नहीं था कि वह सेना के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं।