केंद्र सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि हिमालय अभी अस्थिर और गतिशील भू क्षेत्र है. इसके कारण कभी भी भूधंसाव और भूस्खलन हो सकता है. जोशीमठ की घटनाओं को लेकर कुछ सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पिछले हफ्ते राज्यसभा में यह बात कही थी. हालांकि, इस दौरान उन्होंने जोशीमठ में किए गए भारी निर्माण कार्यों और मौजूदा मापदंडों के उल्लंघन पर चुप्पी साधे रखी उन्होंने कहा, ‘हिमालयी क्षेत्र में कई स्थानों का भूविज्ञान अस्थिर और गतिशील है और किसी भी बड़ी निर्माण परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी अनिवार्य है.’ पृथ्वी और विज्ञान मंत्री सिंह ने कहा, ‘1976 में गठित महेश चंद्र मिश्रा समिति ने सुझाव दिया था कि जोशीमठ में जमीनी स्थिति की भार वहन क्षमता की जांच के बाद ही भारी निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए.उन्होंने कहा कि हिल स्टेशनों में रेसिडेंशियल और कमर्शियल निर्माण पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं था, लेकिन स्थानीय प्रशासन खतरे के जोखिम के आधार पर प्रतिबंध लगाने पर निर्णय ले सकता है.’ इसके अलावा अन्य सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कहा कि उत्तराखंड सरकार ने 296 परिवारों के 995 लोगों को जोशीमठ में धंसाव प्रभावित इलाके से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है.केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक 863 मकानों में दरार देखे गए हैं. सिंह ने कहा कि जमीन धंसने की घटनाओं के बाद उत्तराखंड सरकार ने तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना और हेलोंगमारवाड़ी बाईपास रोड सहित पूरे जोशीमठ क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा राज्य सरकार ने पुनर्वास के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में 100000 रुपये और प्रत्येक प्रभावित परिवार को विस्थापन भत्ते के रूप में 50 हजार रुपये का भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं. इसके लिए 45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.
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December 22, 2024