जोशीमठ को लेकर बड़ी रिपोर्ट सामने आई है. दावा किया जा रहा है कि जोशीमठ के नीचे जमीन खोखली हो चुकी है. आशंका है कि जोशीमठ कभी भी जमीन में समा सकता है. इस रिपोर्ट के बाद जोशीमठ बचाने में जुटे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगी है. जोशीमठ आपदा का अध्ययन कर रही टीमों ने दावा किया है कि सतह के नीचे काफी मिट्टी पानी के साथ बह गई है. साढ़े चार सौ से अधिक स्थानों पर जमीन पर पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी हैं.वैज्ञानिकों के मुताबिक हालात डराने वाले हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्थिति जोशीमठ के करीब 30 फीसदी हिस्से में है. जांच टीम ने इस क्षेत्र में बसे 4000 से अधिक लोगों को निकालकर तत्काल किसी दूसरे स्थान पर पुनर्वासित करने का सुझाव दिया है. केंद्रीय एजेंसियों ने संबंधित रिपोर्ट राज्य सरकार और रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को भेज दी है. इसके बाद एनडीएमए ने बुधवार को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसका प्रस्तुति भी दी है. इसमें बताया कि जोशीमठ में बोल्डरों के नीचे से मिट्टी पानी के बहाव की वजह से निकल चुकी है. ऐसे में बोल्डर कभी सरक सकते हैं. चूंकि इस एरिया में करीब 2500 परिवारों के मकान हैं. इनमें रहने वालों की संख्या 4000 के आसपास है. ऐसे में संभावित खतरा इन सभी 4000 लोगों के लिए है.जोशीमठ भूधंसाव का अध्ययन कर रहे सभी तकनीकी संस्थानों ने पानी का रिसाव कम होने से राहत की सांस ली है. सरकार को भेजी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इन संस्थानों ने बताया कि दरार वाले मकानों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में कार्यरत ज्यादातर तकनीकी संस्थानों का अध्ययन अभी जारी है. लेकिन सभी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंप दी है.उन्होंने बताया कि सभी संस्थानों की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद प्राधिकरण इन सभी रिपोर्ट के आधार पर एक अंतिम रिपोर्ट तैयार करेगा.उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने पिछले सप्ताह संस्थानों के साथ मीटिंग की थी. इस दौरान उन्होंने सभी से अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द दाखिल करने को कहा था. वहीं जब संस्थानों ने रिपोर्ट में समय लगने की बात की तो उन्होंने प्राथमिक रिपोर्ट देने को कहा था. इसी के साथ उन्होंने सभी संस्थानों से अपनी रिपोर्ट में एक-दूसरे से साझा करने को भी कहा था.