उत्तराखंड दारोगा भर्ती घोटाले का जिन्न सोमवार को फिर सरकारी फाइलों से बाहर निकल आया. जब उत्तराखंड पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) डॉ. वीमुरुगेशन ने बताया कि, इस करीब 7-8 साल पुराने भर्ती स्कैंडल में 20 दारोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है. आइए जानते हैं कि आखिर उत्तराखंड दारोगा भर्ती स्कैंडल था क्या और अब इतने साल बाद उसका जिन्न बाहर कैसे आ गया?अब जिन 20 दारोगाओं को निलंबित किए जाने का ऐलान सोमवार को राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ने किया, दरअसल यह सब के सब उसी कांड में लिप्त मिले हैं, जिसे लेकर अब से 7-8 साल पहले उत्तराखंड से लेकर देश भर में हंगामा मच गया था. इस स्कैंडल को उत्तराखंड में ‘2015 दारोगा भर्ती घोटाला कांड’ के नाम से भी खूब बदनामी मिली है.एसटीएफ के एक इशारे पर राज्य सतर्कता शाखा ने मुकदमा दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी. तब पता चला कि दारोगा भर्ती परीक्षा कांड में तो, ओएमआर शीट (OMR Sheet) के साथ ही छेड़छाड़ कर डाली गई है. विजिलेंस की कुमाऊं यूनिट द्वारा दर्ज मुकदमे की तफ्तीश में कई, सनसनीखेज तथ्य निकल कर सामने आए. जिसके मुताबिक पंतनगर यूनिवर्सिटी ने तो ओएमआर शीट तक नष्ट कर डाली थी. जबकि ओएमआर शीट को नष्ट करने की एक पूरी और लंबी प्रक्रिया होती है. उस प्रक्रिया का पालन न किए जाने के कदम ने भी विजिलेंस और एसटीएफ की टीमों के दिमाग में आशंका पैदा कर दी थी.इस बारे में सोमवार को उत्तराखंड राज्य विजिलेंस प्रमुख अमित सिन्हा से टीवी9 भारतवर्ष ने बात की. उन्होंने कहा कि हमारे पास एसटीएफ से जैसे ही जांच आई, वैसे ही फाइलें देखते ही ताड़ लिया था कि, सब-इंस्पेक्टर भर्ती कांड में कुछ न कुछ गड़बड़ किसी न किसी स्तर पर जरूर हुई है.” उत्तराखंड विजिलेंस प्रमुख ने आगे कहा, “शुरुआत में ही दाल में काला नजर आने पर विजिलेंस की कुमाऊं यूनिट ने शुरुआत में ही 12 संदिग्धों के खिलाफ हल्द्वानी में मुकदमा कायम कर दिया था. तभी से 40 से 75 दारोगा जांच टीमों के रडार पर थे. हालांकि जांच दो गढ़वाल और कुमाऊं हमारे दोनो ही रेंज की विजिलेंस टीमें अपने स्तर से कर रही थीं.12 संदिग्धों के बारे में अगर सबसे पहले कुमाऊं मंडल की विजिलेंस टीम ने पता लगाया था. आज अब हमारी (उत्तराखंड राज्य सतर्कता विभाग) जांच के रिजल्ट के फलस्वरूप सुनने में आया है कि, 20 सब-इंस्पेक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है.” इस बारे में टीवी9 भारतवर्ष ने सोमवार दोपहर बाद उत्तराखंड राज्य पुलिस महानिदेशालय में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से बात की. उन्होंने अपनी पहचान न खोलने की शर्त पर कहा, “अभी तो जांच में यह लोग (20 दारोगा) सस्पेंड ही किए गए हैं. संभव है कि इनकी गिरफ्तारियों तक की नौबत आ जाए. क्योंकि इनका अपराध अक्षम्य है. यह शर्मनाक और कानून का मजाक बनाने वाला कृत्य, किसी कानून से अनजान इंसान ने नहीं दिया है.