आजम परिवार को एक के बाद एक झटका लग रहा है। पहले पिता आजम खान और माता तंजीन समेत अब्दुल्ला खुद जेल में रहे। फिर सपा नेता आजम खां की विधायिकी चली गई। अब अब्दुल्ला आजम से रिकवरी की तैयारी की जा रही है। सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को अब वर्ष 2017 से 2019 तक विधायक रहने के दौरान लिए गए वेतन और भत्ते के 65.68 लाख रुपये लौटाने होंगे। हाईकोर्ट से उनका निर्वाचन शून्य घोषित किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर उनकी याचिका खारिज होने के बाद पूर्व में जारी किए गए नोटिस के परिप्रेक्ष्य में यह रिकवरी होगी। उधर, भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सपा विधायक से रिकवरी कराने को पत्र लिखा है।
सपा नेता मोहम्मद आजम खां के बेटे और वर्तमान में सपा के विधायक अब्दुल्ला आजम 2017 में स्वार विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार विधायक चुने गए थे। नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में उनके निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने का दोषी मानते हुए अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन शून्य करार दे दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब्दुल्ला आजम को विधानसभा सदस्य पद से भी हटा दिया गया था। इसके खिलाफ अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
उधर, इस संबंध में भाजपा नेता आकाश सक्सेना की ओर से 2020 में विधानसभा अध्यक्ष और प्रमुख सचिव विधानसभा को पत्र लिखकर अब्दुल्ला आजम से वेतन और भत्ते की वसूली की मांग करते हुए पत्र लिखा था। इसके बाद विधानसभा के मुख्य लेखाधिकारी एवं उप सचिव अनुज कुमार पांडेय ने अब्दुल्ला को वसूली का नोटिस भेजा गया था। इसमें स्पष्ट किया गया था कि अब्दुल्ला आजम खां ने 14 मार्च 2017 को विधायक की शपथ ली थी और 16 दिसंबर 2019 को उनकी विधायकी रद हुई थी। इस दौरान उन्हें वेतन और भत्तों के रूप में 6568713 रुपये का भुगतान किया गया है। अब चूंकि उनका निर्वाचन हाईकोर्ट से शून्य करार दे दिया गया है अत: अब्दुल्ला उक्त राशि राजकोष में जमा करा दें।