उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट बंद होने की तैयारियां भी शुरू हो गईं है। आज बुधवार 26 अक्तूबर को जयकारों के बीच गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए। इसी के बाद केदारनाथ धाम से बड़ी खबर आ रही है। केदारनाथ धाम के गृभगृह की दीवारें स्वर्णमंडित हुईं हैं। गर्भगृह की दीवारें को 550 सोने की परतों से भव्य रूप दिया गया है। स्वर्णमंडित कार्य के दौरान विशेषतौर से सावधानी रखी जा रही है।
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के प्रमुख अजेंद्र अजय ने बताया कि केदारनाथ धाम के गर्भगृह की दीवारों और छत को तीन दिन में 19 कारीगरों द्वारा 550 परतों में भव्य रूप दिया गया है। आईआईटी रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की और एएसआई की 6 सदस्यीय टीम ने धाम का निरीक्षण भी किया है।
केदारनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक परम्परा और पूजा अर्चना के साथ बंद होंगे। शीतकाल में भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में की जाएगी। केदारनाथ धाम में समाधि पूजा के बाद वैदिक परम्परानुसार कपाट बंद होने की कार्रवाई की जाएगी।
बदरी-मंदिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि केदारनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष 27 अक्तबूर प्रात साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इससे पहले भगवान की समाधि पूजा की जाएगी। उन्होंने बताया कि भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह डोली 27 अक्तूबर को फाटा पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम के बाद 28 अक्तूबर को डोली गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी।
29 अक्तूबर को केदारनाथ की डोली पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। यहां पूजा अर्चना और परम्परा के अनुसार डोली को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इसी दिन से पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं शुरू होंगी। वहीं दूसरी ओर गौरीकुंड स्थित गौरामाई के कपाट भी इसी दिन बंद किए जाएंगे।