रूस के साथ अपने रिश्तों को तोड़ने को लेकर अमेरिका व पश्चिमी देशों की तरफ से पड़ रहे दबाव के बीच भारत ने शुक्रवार को एक बार फिर अपनी मंशा साफ कर दी कि वह अपने हितों के हिसाब से ही फैसला करेगा। भारत की यात्रा पर आए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की पीएम नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से अलग-अलग मुलाकात हुई जिसमें यूक्रेन के हालात के साथ ही द्विपक्षीय रिश्तों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात हुई।
भारत को हर तरह की मदद देने को तैयार
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन में संघर्ष को सुलझाने के लिए शांति प्रयासों में किसी भी तरह से मदद करने को तैयार है। हाल के दिनों में भारत के दौरे पर आने वाले किसी विदेश मंत्री से पहली बार पीएम मोदी ने मुलाकात की है। पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी इस मुलाकात के दौरान उपस्थित थे।
पीएम मोदी ने हिंसा रोकने की अपील की
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री लावरोव ने पीएम मोदी यूक्रेन की स्थिति और चल रही शांति वार्ताओं के बारे में जानकारी दी। इसी दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन में हिंसा की जल्द समाप्ति का आह्वान को दोहराते हुए दोनों देशों के बीच शांति स्थापना में हर संभव योगदान देने की पेशकश की।
मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है भारत
इससे पहले, विदेश मंत्री जयशंकर के साथ प्रतिनिधि स्तर की लंबी बातचीत के बाद लावरोव ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मसलों पर न्यायसंगत राय रखता है। वह महत्वपूर्ण देश और रूस-यूक्रेन के बीच शांति स्थापना में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा भारत
सर्गेई लावरोव ने यह भरोसा भी जताया कि हमेशा स्वतंत्र नीति अपनाने वाला भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा। चीन की यात्रा के बाद नई दिल्ली पहुंचे लावरोव ने पश्चिमी देशों को चिढ़ाने के अंदाज में कहा कि रूस ना सिर्फ भारत को ज्यादा ईंधन बेचने को तैयार है बल्कि दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने को लेकर भी बात हो रही है।
कई दूसरे देशों विदेश मंत्रियों से पीएम ने नहीं की मुलाकात
लावरोव के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक इस मायने में बहुत अहम है कि पिछले दो हफ्तों के दौरान भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन, ग्रीस, चीन, मैक्सिको व आस्टि्रया के विदेश मंत्रियों से पीएम ने मुलाकात नहीं की थी। इनमें से कुछ देशों की तरफ से कई बार आग्रह आने के बावजूद पीएम मोदी मिलने का वक्त नहीं निकाल सके थे। इस मुलाकात को उन देशों को दिए गए एक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है जो भारत पर यूक्रेन हमले को देखते हुए रूस से कूटनीतिक व आर्थिक रिश्ते तोड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं।
पिछली बार लावरोव से भी नहीं मिले थे पीएम मोदी
बता दें कि पिछले साल अप्रैल में लावरोव की भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी। तब लावरोव भारत के बाद पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाले थे। बताया गया था कि रूसी विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के विरोध में ही पीएम मोदी से लावरोव की मुलाकात नहीं हो सकी थी। मोदी की इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन से टेलीफोन पर तीन बार बात हुई है।
जयशंकर ने भी पश्चिमी देशों को दिखाया आईना
रूस के साथ रिश्ते खत्म करने या कम करने के लिए भारत पर दबाव बना रहे देशों को एक दिन पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने भी आईना दिखाया था। उन्होंने साफ संकेत दिया था कि रूस के साथ रिश्ते भारत अपने हितों के मुताबिक तय करेगा। उन्होंने रूस से ईंधन नहीं खरीदने को लेकर ‘अभियान’ चलाने वालों को कहा था कि पश्चिमी देश रूस से ज्यादा तेल खरीद रहे हैं और आगे भी खरीदते रहेंगे जबकि भारत कभी भी रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले शीर्ष 10 देशों मे शामिल नहीं होगा।
अमेरिकी डिप्टी एनएस ने की थी धमकाने की कोशिश
गुरुवार को भारत के दौरे पर आए अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) दलीप ¨सह ने कहा था कि भारत अगर रूस से ज्यादा ईंधन खरीदता है तो इसके परिणाम भी हो सकते हैं। उन्होंने भारत व रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की तैयारियों पर भी निशाना साधा था और भारत जैसे मित्र देश को इससे अलग रहने को कहा था।
भारत-रूस संबंध पर कोई दबाव नहीं करेगा काम
भारत पर दबाव बनाने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर लावरोव ने कहा कि दोनों देशों के रणनीतिक रिश्ते कई दशकों के अनुभवों के आधार पर विकसित हुए हैं, जो किसी दबाव में नहीं आएंगे। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से द्विपक्षीय कारोबार पर असर को लेकर उन्होंने कहा कि भारत व रूस के कारोबार व वित्त मंत्रालयों के बीच काफी अच्छे संबंध हैं, जो इन गैर कानूनी अवरोधों को तोड़ने का वो कोई विकल्प खोज लेंगे। कच्चे तेल का नाम लिए बिना लावरोव ने कहा कि भारत जो भी खरीदना चाहता है, रूस उसकी आपूर्ति करने को तैयार है।