उत्तराखंड सरकार जल्द नई खनन नीति लाने जा रही है। पहली बार नीति बनाने के लिए सरकार ने खनन कारोबार से जुड़े हितधारकों के सुझाव लिए हैं। कुछ हितधारकों के सुझावों को नीति में शामिल भी किया गया है। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू के मुताबिक, नीति का प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नीति यूजर फ्रेंडली होगी।
सरकार का मानना है कि वर्तमान में उपखनिज नीति उतनी प्रभावी नहीं है। नीति के प्रावधानों को लेकर बहुत से मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। न्यायालय के स्तर से भी सरकार को कई बार दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर सरकार ने नई नीति लाने की जरूरत महसूस की।
92 लोगों ने दिए सुझाव
औद्योगिक विकास (खनन) ने नई नीति का प्रस्ताव तैयार करने के लिए खनन कारोबार से जुड़े विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे थे। करीब 92 हितधारकों ने अपने सुझाव दिए। कुछ सुझावों को नीति में शामिल भी किया गया है।
राजस्व बढ़ने की उम्मीद
सरकार का मानना है कि नई खनन नीति यदि प्रभावी ढंग से लागू हुई तो राजस्व में करीब 500 से 1000 करोड़ की वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में जितने क्षेत्रफल पर सरकार खनन के पट्टे आवंटित करती है, उस अनुपात में सरकार को राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है।
अवैध खनन पर कड़ी नजर
सरकार के लिए अवैध खनन सबसे बड़ा सिरदर्द है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन मूवी और सेटेलाइट तस्वीरों की मदद से निगरानी करेगी।
खनन नीति का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इसमें हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया है। सरकार की कोशिश रहेगी कि अनुमति एरिया में नियोजित ढंग से खनन हो और सरकार को अधिक से अधिक राजस्व मिले।
– डॉ. एसएस संधू, मुख्य सचिव, उत्तराखंड